सीधा साधा एक लड़का था वो लड़का मोहब्बत से कोसो दूर था अपने आप में ही और बदशाओं की तरह मस्ती में चूर था वक्त बुरा आया की उस बदनसीब को एक सहजादी भा गयी तमाम खुशिया उसकी मोहब्बत खा गयी दिन रात उसके ही खवाबो में गम में वो साहब रहने लगा आस परोस दोस्त समाज उसे पागल कहने लगा लड़की को भी उस पागल की मोहब्बत रास आ गयी क्या पता था खूशयो की सकल में बदकिस्मती दोनों की आ गयी इस बात की भनक लड़की के माँ बाप को पड़ चुकी थी बहार आना जाना बंद हुआ घर में ही वो जेल की तरह रहने लगी इधर वो लड़का सब बातो से अनजान उसके लिए था वो तड़प रहा शहर शहर गली गली उसके लिए फकीर की तरह भटक रहा था लड़की ने डर के मारे उसे अपना पता भी ना बताया था कभी कभी जरुरत पड़ जाएगी इस बात का ख्याल लड़के के दिमाग में भी नहीं आया था कभी वक्त के सांथ जख्म भरते है ये सुना था सब ने मगर लड़के का जख्म दिनों दिन था बढ़ने लगा ना भूख लगती थी ना सोया ही जाता था उसकी जुदाई में लड़का बे मौत मरने लगा था इश्क़ एक और माँ की गोद सुनी कर गया तड़पते हुए उसका नाम रटते लड़का बे मौत था मर गया लड़की को आज भी ना उसने कोसा था उसकी कोई मज़बूरी होगी उसने सोंचा था मरने के बाद उसके सांथ एक अजब खेल हुआ जिस्म मिलते है जिन्दा ना रह कर उनकी रूहों का मर कर मेल हुआ जब मर के ऊपर पहुंचा तो लड़के के होश उड़ गए जितने भी सहे थे उसके सब दुःख उसके उतर गए लड़की पहले से पड़ी सर्ग के दरवाजे पे उसका इंतजार कर रही थी कब आएगा मेरा दिलवर इसी बात को सोंच कर मर रही थी मोहब्बत के इतिहास में सायद पहली बार ऐसा हुआ था
इसीलिए किसी शायर ने बहुत खूब कहा है वो मौत बड़ी सुहानी होगी जो दिलवर के प्यार में आनी होगी