अपनों से अपनों को मिलती है होली
अपनों से अपनों को मिलती है होली खुशियों के रंग लाती है होली बरसों से बिछड़ें है जो उन सबको …
अपनों से अपनों को मिलती है होली खुशियों के रंग लाती है होली बरसों से बिछड़ें है जो उन सबको …
जिस दिन हम आपके बिना रह लें खुद को हम मिटा देंगे आप हमसे दूर जाने की बातें मत करो …
सुन पगली आज चर्चा हजारों में है कल लाखों में होगी आज अपना नाम लोगों के दिलों में है कल …
अकेले हम ही शामिल नहीं है इश्क़ की जुर्म में जब नज़रे मिली थी तो तू भी मुस्कुराई थी Akele …
अकेले रोना भी क्या खूब कारीगरी हैं सवाल भी खुद के होते हैं और जवाब भी खुद के Akele rona …
एक दिल था मेरा जो मैंने दिया था तुझको पर तेरी याद तो शायर कर गई मुझको माना रह ना …
बहुत बहुत रोएगी जिस दिन में याद आऊंगा और बोलेगी एक पागल था जो पागल था सिर्फ मेरे लिए Bahut …
तुझे जब देखता हूँ तो खुद की अपनी याद आती है मेरा अंदाज हँसने का कभी तेरे ही जैसा था …
दिल के रिश्ते तो किस्मत से बनते है वरना मुलाकात तो हजारो से होती है Dil ke rishte to kismat …
क्या पानी पे लिखी थी मेरी तक़दीर मेरे इस्वर हर ख्वाब बह जाता है मेरे रंग भरने से पहले ही …